गुरुवार, 14 मई 2015

हौसला (कविता)

अपने हौसला को बुलन्द रखना है
सम्भल-सम्भलकर यहाँ चलना है
जिन्दगी के सफर में काटे बहुत है
अपने पथ से बिचलित नहीं होना है


जो भी आते हैं समझाकर रखना है
अपने शक्ति में  मिलाकर रखना है
सीखना-सीखाना है उन्हे सत्य का पाठ
इस कार्य को कर्तव्य समझकर चलना है


हम जो भी है अभी इसे नहीं गवाना है
इसी के बल पर आगे रास्ता बनाना है
हक के लिए हमेशा लड़ना है यारों
सरकार हो या नेता कभी पिछे नहीं हटना है


पहले हम लोगों को कायदा बनाकर चलना है
भाई चारे का भाव बरकरार रख कर चलना है
अगर फिर भी नहीं छोड़ते हैं हम पर राज करना
कफन सर पर बाधकर,सामना डटकर करना है।
---------@रमेश कुमार सिंह

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