मंगलवार, 4 अगस्त 2015

रिमझिम बारिश ☔

रिमझिम रिमझिम~~ बारिश होती।
ठन्डी ठन्डी हवा जो~~~~~बहती।
सिहरन पैदा तन-मन में~~ करती।
ठनडापन का~~ एहसास दिलाती।
जलपरी अपने को~~~~~ कहती।
हम सबके चरणों को~~~~ धोती।
जहां तहां पानी की बौछारें~ करके,
सबका नि:शुल्क कल्याण~~करती।
जमीन को पानी से~~~ तर करती।
किसानों का हृदय ठन्डा~~ करती।
धान के बिजड़े को देती~~ मुस्कान,
हम करेंगे तेरा भी कल्याण,~कहती।
बारिश आने से बढ गई मेरी मुस्कान।
अब रखेंगे सभी  का~ समुचित ध्यान।
खेतों में अपनी बाली~~ लहराकर के,
करेंगे सब जीवों का~~~~ कल्याण।।
रमेश कुमार सिंह/१७-०७-२१०५